मरीजों के लिए प्रभावी नहीं है रेमडेसिविर
कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल होनेवाली एंटी वायरल दवा रेमडेसिविर की मांग भारत में कोविड-19 के मामलों में तेजी के बीच बढ़ गई है. अचानक से बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने रेमडेसिविर के स्थानीय निर्माताओं को समर्थन बढ़ा दिया है. वर्तमान 38 लाख शीशी प्रति महीने की उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 74 लाख शीशी प्रति महीने करने का लक्ष्य रखा गया है, उसी के साथ 20 अतिरिक्त निर्माण केंद्री की मंजूरी दी गई है. इसके अलावा, इंजेक्शन के जरिए लगाई जानेवाली दवा का निर्यात भी बैन कर दिया गया है.
विशेषज्ञों की राय
ये कोविड-19 के उन मरीजों के लिए है जो अस्पताल के अंदर ऑक्सीजन सपोर्ट पर मध्यम रूप से बीमार हैं.' लेकिन ये उन मरीजों के लिए प्रभावी नहीं है जिनको ऑक्सीजन सपोर्ट या वेंटेलिटर की अत्यधिक जरूरत है. पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) में एनेस्थेसिया और एंटेसिव केयर प्रमुख जी डी पुरी भी कहते हैं कि रेमडेसिविर का मृत्यु दर कम करने में प्रभाव नहीं है. इससे पहले एम्स दिल्ली के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया भी समान बात कह चुके हैं. उन्होंने सोमवार को मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा था, "रेमडेसिविर रामबाण नहीं है और एक ऐसी दवा नहीं जो मृत्यु दर कम करती है."
इस्तेमाल
पुरी के मुताबिक, कोविड-19 में रेमडेसिविर का इस्तेमाल पहले सात दिनों से आठ दिनों के बीच उस वक्त करना चाहिए जब ऑक्सीजन लेवल 94 से कम हो जाए. ये उन मरीजों में 10 दिनों के बाद फायदेमंद होने की संभावना नहीं है जो पहले ही वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं. उसमें संभावना है अनियमित दिल की धड़कन की वजन बनने की, इसलिए सावधानी और सख्त मॉनिटरिंग के तहत इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है. रेमडेसिविर इस्तेमाल के बहुत सीमित संकेत हैं और बहुत संक्रीण चिकित्सकीय खिड़की है, इसलिए विवेकपूर्ण तरीके से इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
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