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अनोखा दंड (Unique Punishment) Story/Poem

अनोखा दंड (Unique Punishment) Story/Poem

अनोखा दंड (Unique Punishment) Story/Poem
अमेरिका में एक पंद्रह साल का लड़का था, स्टोर से चोरी करता हुआ पकड़ा गया। पकड़े जाने पर गार्ड की गिरफ्त से भागने की कोशिश में स्टोर का एक शेल्फ भी टूट गया। 
There was a fifteen year old boy in America, who was caught stealing from the store. When caught, a shelf of the store was also broken in an attempt to escape from the guards.

जज ने जुर्म सुना और लड़के से पूछा, "क्या तुमने सचमुच चुराया था ब्रैड और पनीर का पैकेट"?
The judge heard the crime and asked the boy, "Did you really steal a packet of bread and cheese?"

लड़के ने नीचे नज़रें कर के जवाब दिया- जी हाँ।
The boy looked down and replied - Yes.

जज :- क्यों ?
Judge: Why?

लड़का :- मुझे ज़रूरत थी।
Boy: I needed it.

जज :-  खरीद लेते।
Judge: Buy it.

लड़का :- पैसे नहीं थे।
Boy: There was no money.

जज:- घर वालों से ले लेते।
Judge: Take it from the family members.

लड़का:- घर में सिर्फ मां है। बीमार और बेरोज़गार है, ब्रैड और पनीर भी उसी के लिए चुराई थी।
Boy: There is only mother in the house. Sick and unemployed, bread and cheese were stolen for the same.

जज:- तुम कुछ काम नहीं करते ?
Judge: You don't do anything?

लड़का:- करता था एक कार वाश में। मां की देखभाल के लिए एक दिन की छुट्टी की थी, तो मुझे निकाल दिया गया।
Boy:- Used to be in a car wash. I had a day off to take care of my mother, so I was fired.

जज:- तुम किसी से मदद मांग लेते?
Judge: Would you have asked someone for help?

लड़का:- सुबह से घर से निकला था, लगभग पचास लोगों के पास गया, बिल्कुल आख़िर में ये क़दम उठाया।
Boy: - had left the house since morning, went to about fifty people, took this step at the very end.

जिरह ख़त्म हुई, जज ने फैसला सुनाना शुरू किया, चोरी और विशेषतौर से ब्रैड की चोरी अपराध है और इस अपराध के हम सब ज़िम्मेदार हैं।
The cross-examination is over, the judge begins to pronounce the verdict, theft, and especially Brad's theft, is a crime and we are all responsible for this crime.

"अदालत में मौजूद हर शख़्स.. मुझ सहित अपराधी हैं, इसलिए यहाँ मौजूद प्रत्येक व्यक्ति पर दस-दस डालर का जुर्माना लगता है। दस डालर दिए बग़ैर कोई भी यहां से बाहर नहीं जा सकेगा।"
"Everybody in the court.. including me is a criminal, so everyone present here is fined ten dollars each. No one will be able to get out of here without paying ten dollars."

ये कह कर जज ने दस डालर अपनी जेब से बाहर निकाल कर रख दिए और फिर पेन उठाया लिखना शुरू किया:- इसके अलावा मैं स्टोर पर एक हज़ार डालर का जुर्माना करता हूं कि उसने एक भूखे बच्चे से इंसानियत न रख कर उसे पुलिस के हवाले किया।
Having said this, the judge took ten dollars out of his pocket and then picked up the pen and started writing: - In addition, I fine the store a thousand dollars for not showing humanity to a hungry child and handing him over to the police did.

अगर चौबीस घंटे में जुर्माना जमा नहीं किया तो कोर्ट स्टोर सील करने का हुक्म देगी।
If the fine is not deposited within 24 hours, the court will order to seal the store.

जुर्माने की पूर्ण राशि इस लड़के को देकर कोर्ट उस लड़के से माफी चाहती है।
The court apologizes to that boy by giving the full amount of the fine to this boy.

फैसला सुनने के बाद कोर्ट में मौजूद लोगों के आंखों से आंसू तो बरस ही रहे थे, उस लड़के की भी हिचकियां बंध गईं। वह लड़का बार बार जज को देख रहा था जो अपने आंसू छिपाते हुए बाहर निकल गये।
After hearing the verdict, tears were pouring from the eyes of the people present in the court, the hiccups of that boy were also tied. The boy was repeatedly looking at the judge who went out hiding his tears.

क्या हमारा समाज, सिस्टम और अदालत इस तरह के निर्णय के लिए तैयार हैं?
(Are our society, system and court ready for such a decision?)

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