क्रिप्टोकरेंसी पर भारत में पाबंदी के साफ संकेत
भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चिंताएं अब बढ़ने लगी . सरकार बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी पर पहले ही चिंता चुकी है. इससे बिटक्वाइन समेत ऐसी कई दूसरी करेंसी पर बैन की आशंकाएं गहराने लगी है. सरकार ने भारत में इस तरह की डिजिटल करेंसी पर बैन लगाने का प्रस्ताव किया है लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं किया है. इस बीच,रिजर्व के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक को क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चिंता है. इसकी चिंताओं को लेकर सरकार को बताया जा चुका है. इस मामले में वित्त मंत्रालय और आरबीआई में कोई मतभेद नहीं है. दोनों वित्तीय स्थिरता को लेकर प्रतिबद्ध हैं. इस बारे में हम केंद्र की तरफ से अंतिम फैसले का इंतजार करना चाहिए.
आरबीआई ने कहा, इस मामले में सरकार के साथ
दरअसल क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार के रवैये में इधर कुछ दिनों से आई स्पष्टता के बाद दास ने यह बयान दिया. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक का फोकस अब बैंकिंग सेक्टर में डिजिटल कंपनियों पर ज्यादा बढ़ेगा. भारत के बैंकिंग सेक्टर में डिजिटल कंपनियों का अहम रोल है. भारत एशिया का फिनटेक हब बन कर उभर रहा है. भारत क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ सबसे सख्त बिल ला सकता है. इसमें क्रिप्टोकरेंसी को रखने, इसे जारी करने, माइनिंग और ट्रेडिंग और क्रिप्टो एसेट को ट्रांसफर की जानकारी रखने वालों को सीधे अपराध बनाया जा सकता है. संसद की एक कमेटी ने इसके लिए दस साल की जेल की सजा का प्रस्ताव किया है.
भारत में 100 करोड़ से अधिक का निवेश
सरकार पिछले कुछ महीनों से क्रिप्टोकरंसी के खिलाफ कार्रवाई की योजना बना रही है. अगर नया विधेयक कानून का रूप लेता है तो यह निवेशकों के लिए चिंता का विषय होगा. अगर ऐसा होता है तो भारत क्रिप्टोकरेंसी को अवैध बनाने वाली पहली बड़ी अर्थव्यवस्था होगी. यहां तक कि चीन में भी इसे लेकर दंडित करने का प्रावधान नहीं है. सरकारी अधिकारियों के मुताबिक निवेशकों को उन पर जुर्माना लगाने से पहले संपत्ति की प्रतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए छह महीने का समय दिया जाएगा. भारत में 70 लाख से अधिक लोगों ने क्रिप्टोकरंसी में 100 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है.
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